..अब उसे स्पेलिंग नहीं भूलते!
चटाक ..!
तमाचे की आवाज इतनी ज्यादा थी कि हॉल में अखबार पढ़ते हुए मेरा ध्यान बैडरूम की ओर गया। यह तमाचा मेरे बेटे जसकंवल की गाल पर उसकी मम्मी की ओर से पड़ा था जो उनके पास बैठा पढ़ रहा था।
'क्या हुआ,Ó मैंने जानना चाहा।
'कितने दिनों से एक ही वर्ड के स्पेलिंग पर अटका हुआ है। अभी तक याद नहीं हो रहे इसे । आज टेस्ट है , फिर गलत करके आएगा।Ó मेरी पत्नी ने मारे गए थप्पड़ की जस्टिफिकेशन दी।
'रोज इसकी कॉपी में स्पेलिंग की गलतियां आती है, पता नहीं ध्यान किधर है इसका, सारा दिन टीवी देखता रहता है। पढऩे को कहो तो महाश्य को नींद आ जाती है।
मैं उठकर अंदर गया तो देखा जसकंवल की गाल लाल हो गई है। अपने बाएं हाथ से गाल को मसलते हुए वह किताब पर लिखे दिसंबर के स्पेलिंग को घूर रहा था। आंसू उसकी आंखों में भरे अवश्य हुए थे लेकिन अभी उनका उसकी लाल गाल पर बहना बाकी था।
मेरे कमरे में आते ही वह थोड़ा सा और सतर्क होते हुए अपनी मम्मी की ओर बढ़ गया। उसे लगा कि कहीं एक और थप्पड़ न पड़ जाए। खैर, मेरा ऐसा कोई इरादा नहीं था। अंग्रेजी के अक्षरों के स्पेलिंग को याद करना बचपन में मेरे लिए भी कभी आसान नहीं रहा लेकिन जसकंवल का चेहरा देखकर अचानक मेरे मन में जसविंदर का चेहरा कौंध गया।
16 साल पहले की बात है। एक दिन मेरे परिचित अंकल जो एक फोटोग्राफर थे ,मुझे अपनी दुकान पर बैठाकर कहीं काम से चले गए। मैं पहले भी छुट्टी वाले दिन अक्सर उनकी दुकान पर बैठता रहा था।
तभी एक 17-18 साल का युवा,जिसके चेहरे पर अभी दाढ़ी मूंछ फूट ही रही थी ,दुकान के बाहर खड़ा होकर कुछ पढऩे लगा। बी ए एल डब्लू ए एन टी,बलवंत , एस टी यू डी आई ओ स्टूडियो। शीशे वाला दरवाजा खोलकर वह अंदर आ गया। बड़े अदब से बोला एच ई एल एल ओ हैलो, एस आई आर सर।
मुझे कुछ अटपटा सा लगा, हैलो कहने का यह क्या अंदाज हुआ! लेकिन मैंने भी हैलो बोल दिया। दुकान का बोर्ड पढ़ते समय मुझे लगा कि वह दुकान के नाम को इसलिए अक्षरों में पढ़ रहा है ताकि पक्का कर सके कि वह सही दुकान पर आया है । लेकिन जब हैलो सर भी उसने उसी अंदाज में बोला तो मुझे थोड़ा आश्चर्य हुआ।
यह था जसविंदर। दुबला -पतला सा। संतरी रंग के साधरण से कुर्ता पायजामा पहने वह काफी सुंदर दिख रहा था। उसने जेब से अंकल की दुकान की एक पर्ची निकाली और उसी अंदाज में फिर से मुझे अपनी पासपोर्ट साइज की फोटो देने को कहा। मैंने देखा , ग्रामीण सा लगने वाला जसविंदर अंग्रेजी में बोलता है लेकिन बोलने से पहले हर अक्षर के पहले स्पेलिंग बोलता है। स्पेलिंग सहित वह वाक्य काफी तेजी से बोल रहा था। वह फोटो लेकर चला गया। जब तक अंकल नहीं आए मैं उसी के बारे में सोचता रहा। वह, बार-बार हर अक्षर के स्पेलिंग क्यों बोल रहा था लेकिन मुझे मेरे प्रश्न का उत्तर उस समय तक नहीं मिला जब तक अंकल नहीं आए। मैंने अंकल को बताया कि एक अजीब सा लडक़ा आया था जो हर शब्द बोलने से उसका एक एक स्पेलिंग बोल रहा था। अंकल ने बताया कि वह जसविंदर है और उसे हर शब्द के स्पेलिंग जुबानी याद हैं और कमाल यह है कि कभी कोई स्पेलिंग गलत नहीं बोलता। लेकिन स्पेलिंग को याद करने की उसने बहुत बड़ी कीमत अदा की है।
अंकल ने बताया कि जसविंदर खालसा स्कूल में दसवीं का विद्यार्थी था। हर विषय में अव्वल रहने वाले जसविंदर के लिए अंग्रेजी गौरीशंकर की चोटी से कम न थी। अंग्रेजी की क्लास में अक्सर उसे डांट पड़ती। लेकिन एक दिन अंग्रेजी के अध्यापक ने गुस्से में उसे बहुत बुरा भला कहा और पूरी क्लास के सामने अच्छा खासा जलील किया। ताकीद किया कि वह उनकी क्लास में तब तक न आए जब तक उसे अपने पाठ के स्पेलिंग अच्छी तरह से याद नहीं होते।
जसङ्क्षवदर को अध्यापक की यह बाद दिल को लग गई। उस दिन के बाद उसने शब्दों के स्पेलिंग याद करने में जी तोड़ मेहनत की। अंग्रेजी के स्पेलिंग में वह इतना रम गया कि मानसिक तवाजन खो बैठा। अक्षर को बोलने से पहले उसके स्पेलिंग बोलना अब उसकी आदत का हिस्सा हो गया है। अब जसविंदर कभी स्पेलिंग नहीं भूलता लेकिन ये स्पेलिंग अब उसके किस काम के।
इन्द्रप्रीत सिंह
2 comments:
अब जसविंदर कभी स्पेलिंग नहीं भूलता लेकिन ये स्पेलिंग अब उसके किस काम के।
dukhad!!!
श्री इंद्रप्रीत सिंह जी आपको देखकर मुझे बेहद खुशी हुई। अगर पहचान सकें तो धन्यवाद होगा। अब तो आपको पढ़ते रहेंगे।
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