Tuesday, July 14, 2009

बालिग

बालिग

लुधियाना बम विस्फोट के दूसरे दिन ही जब अखबार में इस प्रकार की पूर्व घटनाओं पर मेरी नजर गई तो 18 साल पहले जगराओं के पास रेल यात्रियों को अंधाधुंध गोलियों से भूनने की घटना में मेरे दिमाग में फिर से तरोताजा हो गई, इन मरने वाले यात्रियों में हमारा किराये दार संजीव भी था।
बेहद सादे स्वाभाव का संजीव, जो लुधियाना की किसी फैक्टरी में काम करता था अक्सर देर शाम वाली गाड़ी से लौटता। यह जानते हुए भी प्रदेश में आतंकवाद की गिरफ्त में है, काम पर जाना और इसी अंतिम गाड़ी से लौटना उसकी मजबूरी थी।
'क्या हुआ, किस सोच में डूबे हुए होÓ, मेरी पत्नी रोहिणी की आवाज ने मेरी सोच की निद्रा को भंग किया, और चाय का कप मेरी तरफ बढ़ा दिया।
'यह खबर पढ़ी तुमने,Ó चाय लेते हुए मैं ने कहा
'कौन-सी..Ó
'लुधियाना के सिनेमा में बम धमाके की,छह बिहारी मजदूर मर गए हैं। बेचारे..Ó
'हां,मीलों दूर से बेचारे अपने घर का चूल्हा जलता रखने के लिए यहां फैक्ट्रियों में खुद को जला रहे थे,क्या पता था कि आतंक की आग में खुद भी झुलस जाएंगे और घर के चूल्हे भी ठंडे पड़ जाएंगे।Ó रोहिणी की दिल की गहराई से निकली इस हूक ने मुझे अंदर तक झकझोर दिया।
रह रहकर मुझे इन मजदूरों के बच्चों का ख्याल आ रहा था,क्या अब वे भी निशू की तरह रेलवे स्टेशनों पर भटकते,चोरियां करते लोगों की मार खाने को मजबूर होंगे।
'आप फिर कहीं खो गएÓ
'नहीं, मैं इसी प्रकार की पुराने बम धमाकों में से जगराओं में हुए धमाके के बारे में सोच रहा था जिसमें 19 लोगों मारे गए थेÓ
'इनमें से कोई आपका खास भी थाÓ
'हां, हमारे किराये पर रहने वाला संजीव भी इस आतंक की आग का निशाना बना था,छह महीने ही पहले ही बेचारे की शादी हुई थी और गर्भ में पल रहा निशु पैदा होने से पहले ही यतीम हो गया।Ó
'ओह माई गॉड.. क्या हुआ उसकाÓ
'तुम्हें याद है जब दो महीने पहले निरंजन भैया से मिलने उनके घर गए थे और स्टेशन पर उन्होंने हमें एक 15 साल का फटेहाल लडक़ा दिखाया थाÓ
'हां हां याद आया जिसे कुछ लोग जेब काटने के आरोप में पीट रहे थे और निरंजन भैया ने छुड़ाया थाÓ
'हां ये निशु उन्हीं की साली का लडक़ा है जिसकी शादी संजीव के साथ हुई थी। निरंजन मेरा बचपन का दोस्त है उसी के कहने पर हमने संजीव,जिसकी नई नई शादी हुई थी को किराये पर रखा था।Ó
'फिर क्या हुआÓ, रोहिणी जानने को इच्छुक थी।
'हुआ तो वह सब जिसकी हमने कभी कल्पना भी नहीं की थी। संजीव की मौत के बाद सरकार की ओर से मिली मुआवजे की राशि लेने के लिए एक तरफ संजीव के भाई -मां और दूसरी ओर उसकी पत्नी व ससुर के बीच टकराव हो गया। तीन महीने तक चले इस झगड़े को बढ़ता देख डिप्टी कमिश्नर साहिब ने बहुत बढिय़ा फैसला दिया। उन्होंने आधी राशि संजीव की मां को और आधी संजीव के उस बच्चे के नाम कर दी जो अभी पैदा ही हुआ था। यह सारी रकम निशु के बालिग होने तक उसके नाम बैंक में जमा करवा दी और उसके पोषण पर खर्च के लिए इस राशि का मिलने वाला ब्याज संजीव की पत्नी नीरा को मिलना तय हो गया।Ó
'नीरा का क्या हुआÓ,रोहिणी की जिज्ञासा काफी बढ़ गई थी।
'भर जवानी में विधवा हुई नीरा दूसरी शादी करवाना चाहती थी,पर ऐसा करने पर उसे बैंक से मिलने वाला ब्याज बंद हो जाना था। वह ससुराल से अपने पिता के घर आ गई और एक दो साल रहने के बाद दिल्ली में उसने किसी को बिना एक बताए एक लडक़े से शादी कर ली। निशु को वह उसके बूढ़े नाना-नानी को सौंप गई। बच्चे को पालने के बदले वह उन्हें हर महीने ब्याज के रूप में मिलने वाली राशि का आधा हिस्सा उन्हें दे जाती। कुछ समय तक तो वह देती रही लेकिन बाद में उसने वह भी बंद कर दिया और साथ ही अपने मां बाप के पास आना भी।Ó
'तो क्या निशु को उसके नाना-नानी ने ठीक से नहीं पालाÓ,रोहिणी ने पूछा।
'वे बूढ़े तो खुद किसी के मोहताज थे,उसे क्या पालते। वह तीन साल के निशु को उसकी दादी के पास छोड़ कर जिम्म्ेवारी से मुक्त हो गए। जिस तरह सांझी मां को कोई नहीं रोता वही हाल निशु का हुआ। दादी निशु की शरारतों से तंग आकर उसे नाना-नानी के यहां छोड़ देती और नाना-नानी अपने बीमार रहने का बहाना बनाकर दादी के पास छोड़ देते। इस तरह वह न तो सही ढंग से पढ़ सका और न ही किसी का प्यार पा सका। सालों साल बीतते गए। इसी बीच उसकी दादी और नानी भी चल बसीं, बीमार नाना ने बिस्तर पकड़ लिया। निश्ुा को एक हॉस्टल वाले स्कूल में डाला गया तो वह वहां से भाग खड़ा हुआ और फिर कभी स्कूल नहीं गया। बस अब स्टेशनों और सडक़ों पर आवारागर्दी करना,चोरी करना और पकड़े जाने पर मार खाना ही उसकी नियति बन गई है।Ó
ट्रिंग ट्रिंग..ट्रिंग ट्रिंग
'आप फोन देखो मैं तो चली,रसोई में काम करनेÓ। चाय के कप उठाते हुए रोहिणी बोली
'किसका फोन था,बड़ी देर बातें करते रहेÓ? रसोई से सब्जी काटने के लिए लाते हुए रोहिणी बोली।
'निरंजन का फोन था,कमाल हैं लोग भी,Ó
'क्या हुआ,क्या कह रहे थे,मेरी भी भाभी से बात करवा देते।Ó रोहिणी का इशारा निरंजन की पत्नी की ओर था।
'निरंजन बता रहा था कि सालों बाद कल उसकी साली नीरा का फोन आया था,अपने बेटे निशु के बारे में पूछ रही थी।Ó
'अब सालों बाद उसकी याद आई है?Ó
'याद क्यों न आती,अगले साल निशु बालिग जो होने जा रहा है.. ..Ó।


इन्द्रप्रीत सिंह

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