Tuesday, July 14, 2009

किट्टी पार्टी

बसंती को मतली हो रही थी। शाइना आंटी समझ गईं थी कि उसे फिर से गर्भ ठहर गया है। पूछने पर बसंती ने उन्हें बताया कि चौथा महीना चल रहा है। आंटी सतर्क हो गईं। सतर्क भी क्यों न हों। यह बसंती का छठा गर्भ था लेकिन हर बार बच्चा चौथे से छठे महीने के बीच में होकर मर जाता और उसकी गोद सूनी रह जाती। आंटी उसके खाने पीने का ख्याल रखने लगीं। बसंती पिछले दो सालों से उनके पड़ोस में झाड़ू बर्तन का काम कर रही है। गरीब होने के कारण बड़े डाक्टरों के पास नहीं जा पाती।
इस बार पूरा ख्याल रखना होगा,बसंती तू कल मेरे साथ अस्पताल चलना ,तेरे पूरे टैस्ट करवाकर आएंगे। शाइना आंटी ने बसंती को समझाते हुए कहा।
अस्पताल.. नहीं आंटी मेरे पास तो पैसे .. और फिर बड़ी बीबी के घर का काम भी पड़ा है। बसंती अपनी बेबसी जाहिर करते हुए बोली।
कुछ नहीं होगा.. पैसे की चिंता मत कर.. मैडिकल कॉलेज में दिखा आएंगे। वहां मेरी एक अच्छी दोस्त डॉक्टर लगी हुई है। वह हमारी मदद कर देगी। आंटी ने बसंती को भरोसा दिलाया। तू अपने घरवाले को बोल देना कि कल तू मेरे साथ अस्पताल जा रही है नहीं तो बाद में चिक चिक करेगा..। बसंती ने हां में सिर हिला दिया।
दरअसल गर्भ के चौथे से छठे महीने के दौरार हर बार बसंती के गर्भ का मुंह खुल जाता और गर्भ गिर जाता। दो बार तो उसकी बहुत मुश्किल से जान बची। डॉक्टर ने कई बार कहा कि पति पत्नी दोनों पूरे टैस्ट करवाकर चांस लें लेकिन अनपढ़ गोपाल के भेजे में अक्ल की यह बात कौन डाले? उसे तो बस हर हाल में बच्चा चाहिए। और वह अपना टैस्ट क्यों करवाए.. वह तो ठीक ही है तभी तो गर्भ ठहरता है। बार- बार ऐसे बहाने बनाकर वह अपने टैस्ट करवाने को टालता रहता।
टैस्ट करवाने के बाद शाइना आंटी उसे घर ले आईं। वह थोड़ी परेशान से दिख रही थीं। अगले दिन उनके यहां किट्टी पार्टी थी।
शाइना आंटी के घर में उनके पति के अलावा और कोई नहीं था। दोनों बेटे विदेश में सैट हो गए थे जबकि बेटी शादी के बाद अपने घर चली गई।
क्या हुआ आंटी आज आपके चेहरे पर मुस्कान गायब है.. कोई परेशानी। 525 वाली मिसेज शर्मा ने आते ही पूछा।
हाँ बात तो कुछ है.. आंटी आप हमसे कुछ छिपा रहीं हैं,मिसेज शर्मा के साथ आई उनकी किरायेदार ज्योति भी बोली।
नहीं कोई खास परेशानीं तो नहीं.. बसंती की मुझे फिक्र हो रही है।
कौन बड़ी बीबी की नौकरानी की.. क्यों क्या हुआ उसे । 529 वाली मिसेज सिंह ने पूछा। धीरे धीरे करके आंटी की किट्टी मैम्बर्स आने लगी थीं।
कल उसे डॉक्टर के पास लेकर गई थी। उसने उसे पूरा चैक किया.. और बताया कि उसे पांच महीने अस्पताल में रहना पड़ेगा। शायद कई महंगे टीके भी लगाने पड़ें। नहीं तो इस बार भी ..
ओह.. ये तो बहुत बुरी खबर सुनाई आपने आंटी.. बेचारी .. इतने पैसों का इंतजाम कैसे करेगी। नीरू ने सहानुभूति जताते हुए कहा।
इतने में बसंती सभी के लिए चाय ले आई।
क्यों न हम सब मिलकर उसके लिए कुछ करें.. आखिर कितने पैसों की जरूरत होगी। शाइना जी। नलिनी ने सलाह दी।
डॉक्टर ने मुझसे का है कि लगभग तीस हजार रुपए खर्च आएगा। पांच महीने रोटी,दवाइयां,टैस्ट और अस्पताल में रहना,फिर शायद आपरेशन भी करना पड़े। शाइना आंटी ने हिसाब लगाकर बताया।
ओह.. ये तो काफी ज्यादा है। आंटी सरकारी अस्पताल में भी इतना खर्च.. कैसे इलाज करवाएगा गरीब आदमी। मिसेज शर्मा ने कहा। हम भी अगर पांच-पांच सौ इक_ा करें तो भी मुश्किल से दस हजार ही इक_ा होगा।
पांच सौ रुपए.. इतने, मैं तो नहीं दे सकती इतने .. आप लोगों को पता ही है बच्चों की इतनी फीस ,कार के पैट्रोल का खर्च और उस पर घर का खर्च । मैं तो पहले ही इतनी मुश्किल से गुजारा कर रही हूं। बड़ी बीबी ने कहा। सौ दो सौ लेने हैं तो मैं दे सकती हूं।
बड़ी बीबी ,बसंती दो सालों से आपके यहां काम कर रही है.. इतना तो अपने यहां कोई जानवर भी रहे तो उससे प्यार हो जाता है। ये तो फिर भी इंसान है। शाइना आंटी ने समझाना चाहा।
शाइना तेरे तो बच्चे बाहर हैं,घर का कोई खर्च है नहीं.. पर दूसरे के घरों का खर्च कैसे चलता है.. तुम्हें क्या पता है?
क्यों मुझे क्यों नहीं पता.. क्या मैंने बच्चे नहीं पाले
तब की बात और थी शाइना आज महंगाई आसमान को छू रही है,नाराज होकर बड़ी बीबी जाने लगीं।
अरे आंटी आप बैठिए तो सही.. ज्योति ने उन्हें रोकने की कोशिश की।
छोड़ यार.. हम यहां कुछ देर गप शप करने आए हैं कि इन भिखनंगों की समाज सेवा करने। ज्योति का हाथ जोर से झटकते हुए बड़ी बीबी बाहर चली गईं। ज्योति का हाल देखकर और किसी ने उन्हें रोकने की कोशिश नहीं की।
छोडि़ए आंटी.. मुझे तो पहले से ही पता था। अपने कुत्ते टॉमी पर तो ये हर महीने दो से तीन हजार रुपए खर्च कर सकती हैं किसी इंसान पर नहीं। बड़ी बीबी की पड़ोसन ज्योति ने कहा।
आंटी आप बसंती को अस्पताल में भर्ती करवा दीजिए.. और देखिए उसके खाने और दवाइयों की फिक्र मत कीजिए। इनके (पति) एक बहुत अच्छे दोस्त दस गरीबों रोगियों के लिए रोजाना अस्पताल में खाने भिजवाते हैं। दवाइयों के लिए रैडक्रास से कह देंगे। अब तक चुप बैठी निशा ने जब ये कहा तो सबके चेहरे खिल गए।
शाइना आंटी की आपकी डॉक्टर दोस्त क्या इसका आपरेशन मुफ्त नहीं कर सकती? ज्योति ने पूछा।
मैं बात करुंगी, वह मान जाएगी इसका मुझे पूरा भरोसा है। शाइना आंटी ने बताया।
आज यदि मेरी किट्टी निकल गई तो मुझे दस फीसदी काटकर दे देना। यह मेरी ओर से बसंती के इलाज के लिए। ज्योति ने कहा।
वाह.. ऐसा हो जाए ,फिर तो बात ही बन जाएगी। नीरू चहकी। मेरे पास एक आइडिया है,जिसकी किट्टी निकलेगी वह दस फीसदी यानी एक हजार रुपए देगा और बाकी मैम्बर्स सौ रुपए । यानी हमारे पास लगभग 2900 रुपए हर महीने इक_े हो जाएंगे। पांच महीने में पंद्रह हजार। खाने और दवाइयों का इंतजाम तो पहले ही हो गया है। क्यों कैसी रहीं।
नीरू के इस आयडिया पर सब को पसंद आया। तय हुआ कि इस क्रम को आगे भी जारी रखा जाएगा ताकि और कोई बसंती बिना इलाज न रह सके।
चाय के खाली कप उठाने आई बसंती सब सुन रही थी। उसकी आंखें भीगी हुई थीं। वह शाइना आंटी के पैरों में गिर पड़ी।
अरे..रे..रे ये क्या कर रही बसंती ,रोती क्यों है पगली? तेरी वजह से ही तो हमें इस किट्टी का एक नया मकसद मिला है।

5 comments:

Unknown said...

हिन्दी ब्लाग्स की दुनिया में आपका स्वागत है. पड कर अच्छा लगा, इस प्रयास के लिये आप को बधाई, बस इसी तरह लिखते रहिये, और हम पड्ते रहेंगे.

चारुल शुक्ल
मेरे लेखो के लिये आइये
http://dilli6in.blogspot.com

रचना गौड़ ’भारती’ said...

बहुत सुंदर…..आपके इस सुंदर से चिटठे के साथ आपका ब्‍लाग जगत में स्‍वागत है…मेरे ब्लोग पर आपका स्वागत है।

गोविंद गोयल, श्रीगंगानगर said...

wah! kya baat hai. narayan narayan

राजेंद्र माहेश्वरी said...
This comment has been removed by the author.
राजेंद्र माहेश्वरी said...

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